कौन है यहाँ ख़रीदार मै भी देखूँ
इस बाजार का मेयार मै भी देखूँ
अवाम-ए-लहू से नही रँगे हों जो
मुल्क के वो अख़बार मै भी देखूँ
अफ़वाह है तुम्हारे शोला होने की
छू कर तुम्हे एक बार मै भी देखूँ
छोड़कर कस्तियों को आओ सब
कौन करे है दरिया पार मै भी देखूँ
क़त्ल किया जिसने मुझे,मेरे किस
अपने की है वो तलवार मै भी देखूँ
Penned by
Sachin Kumar Ken
Hapur, UP, India
इस बाजार का मेयार मै भी देखूँ
अवाम-ए-लहू से नही रँगे हों जो
मुल्क के वो अख़बार मै भी देखूँ
अफ़वाह है तुम्हारे शोला होने की
छू कर तुम्हे एक बार मै भी देखूँ
छोड़कर कस्तियों को आओ सब
कौन करे है दरिया पार मै भी देखूँ
क़त्ल किया जिसने मुझे,मेरे किस
अपने की है वो तलवार मै भी देखूँ
Penned by
Sachin Kumar Ken
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