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मै भी देखूँ by Sachin Kumar Ken

कौन है यहाँ ख़रीदार मै भी देखूँ
इस बाजार का मेयार मै भी देखूँ

अवाम-ए-लहू से नही रँगे हों जो
मुल्क के वो अख़बार मै भी देखूँ

अफ़वाह है तुम्हारे शोला होने की
छू कर तुम्हे एक बार मै भी देखूँ

छोड़कर कस्तियों को आओ सब
कौन करे है दरिया पार मै भी देखूँ

क़त्ल किया जिसने मुझे,मेरे किस
अपने की है वो तलवार मै भी देखूँ

Penned by
Sachin Kumar Ken
Hapur, UP, India

 

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बेजुबां इश्क़ by Ayushi Tyagi

लड़ते भी हो इतना और प्यार भी हद पार करते हो लफ़्ज़ों से नहीं तुम आंखों से सब बात कह देते हो रास्ते में मुझे हमेशा खुद से आगे रखते हो भीड़ में मेरा हाथ कसके पकड़ लेते हो मेरे ख्वाबों को पंख भी देते हो उजाले में छुपा अंधेरा भी दिखाते हो मेरे चेहरे की रौनक तुम्हारी हिम्मत है और मेरी नादानियाँ तुम्हारे लिए कमजोरी मेरी आँखें पढ़ने का हुनर कहाँ से सीखा है तुमने? मेरी आवाज़ से दर्द जानने का तरीका कैसे समझा तुमने? मेरे कदमों से मेरे सपने को किस तरह परखा तुमने? मेरे दिल की धड़कनों को कब सुना तुमने ? हाँ, यह सवालों के जवाब जानना जरूरी है मेरे लिए की सच है या कोई फ़साना तो नहीं मेरे लिए हो सके तो सपनों में नहीं हक़ीक़त में आना इस बेजुबां इश्क़ की किताब का नाम पूछना है तुमसे जो मेरे हर एक राज जानती है। Penned by Ayushi Tyagi Ghaziabad, UP, India