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चल ख्वाब देखते हैं by Nitin Nirmohi

चल ख्वाब देखते हैं
ख्वाब मे खुशियाँ बेहिसाब देखते हैं
टूटे हैं रूठे हैं असल जिंदगी मे तो क्या!
ख्वाब मे ही सही इंक़लाब् देखते हैं
चल ख्वाब देखते हैं।

हर राज़ का छुपा हुआ हर राज़ देखते हैं
अंदाज का छुपा हुआ अंदाज देखते हैं
होश मे तो ढूंढ लिया अपना मुकद्दर
नींद मे भी आज तलबग़ार देखते हैं
चल ख्वाब देखते हैं।

चल देखते हैं आज की, कल होगा सब मुकम्मल
जो देखे सपने हमने जो हमने सोचा था कल
बेअसर है आज अपनी हर दुआ ये माना
चल मांगते हैं फिर से ना हिसाब देखते हैं
चल ख्वाब देखते हैं
ख्वाब मे खुशियाँ बेहिसाब देखते हैं।


Penned by
निर्मोही
Pashchim Vihar, Delhi, India

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