Skip to main content

कुमकुम से सिंदूर तक by Priya Dwivedi

वो धीरे - धीरे पंजों से,
पैरों पर चलने लगी,
उसकी ज़िन्दगी की कहानी,
कुछ इस तरह से आगे बढ़ने लगी।

पहले स्कूल जाती थी,
अब वो कॉलेज जाने लगी,
वो कुछ लोगों को भी,
अब अपना मानने लगी।

फिर समझदार वो थोड़ी और हुई,
और किसी रोज़ कुछ रिश्ते की बात हुई,
वो थोड़ी इतराई और शरमाई,
फिर बात विवाह पे, उसके आयी।

तैयारियां भी कुछ ऐसे होने लगी,
वो खुश तो थी, पर मन ही मन रोने लगी।
ये सोचकर कि कुछ दिनों बाद...
अपने दूसरे घर में जाना था उसे,
वो फिर से अपनी मां की गोदी में सोने लगी।

जयमाला हाथ में था उसके,
अंगूठी भी बड़ी प्यारी थी,
दुल्हन बनके आयी जब वो,
लगा जैसे खुद चांद ने...
अपनी सुन्दरता हारी थी।

सिंदूर माथे पर सज गया,
सातवां फेरा भी पूरा हो गया,
अब रस्म रुलाने की आयी,
अब बात विदाई की आयी।
और साथ में सबकी आंखें भी,
आंसुओं से भर आयी।

पर ना रोने की इस चुनौती में,
अश्कों का बहना जायस था...
क्योंकि ये रस्म कुछ दुखदाई सी थी,
यहां बात बेटी की विदाई की थी।

लाख आंसुओं को रोक कर,
कुछ आंसू उसके पापा ने भी बहाए थे,
और कुमकुम से सिंदूर तक,
हजारों रस्मो को निभाने वाले,
बाबुल वो कहलाए थे।

आख़िरी तक मां ने मेरे सिर के,
पल्लू को संभाला था,
हां याद है जब मां ने मेरे लिए,
अपना पर्स खंगाला था।
मुझे पंजों से पैरों तक भी,
मेरी मां ने ही संभाला था,
मेरी मां ने ही संभाला था।

Penned by
Priya Dwivedi
Noida, UP, India

 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Sarhad by Mandvi Mishra

बेजुबां इश्क़ by Ayushi Tyagi

लड़ते भी हो इतना और प्यार भी हद पार करते हो लफ़्ज़ों से नहीं तुम आंखों से सब बात कह देते हो रास्ते में मुझे हमेशा खुद से आगे रखते हो भीड़ में मेरा हाथ कसके पकड़ लेते हो मेरे ख्वाबों को पंख भी देते हो उजाले में छुपा अंधेरा भी दिखाते हो मेरे चेहरे की रौनक तुम्हारी हिम्मत है और मेरी नादानियाँ तुम्हारे लिए कमजोरी मेरी आँखें पढ़ने का हुनर कहाँ से सीखा है तुमने? मेरी आवाज़ से दर्द जानने का तरीका कैसे समझा तुमने? मेरे कदमों से मेरे सपने को किस तरह परखा तुमने? मेरे दिल की धड़कनों को कब सुना तुमने ? हाँ, यह सवालों के जवाब जानना जरूरी है मेरे लिए की सच है या कोई फ़साना तो नहीं मेरे लिए हो सके तो सपनों में नहीं हक़ीक़त में आना इस बेजुबां इश्क़ की किताब का नाम पूछना है तुमसे जो मेरे हर एक राज जानती है। Penned by Ayushi Tyagi Ghaziabad, UP, India  

Sarhad by Mandvi Mishra