मैं तेरा रोज़ा हो जाऊंगा,
तू मेरी इफ़्तार बन जाना।
मैं तेरा चांद हो जाऊंगा,
तू मेरी ईद बन जाना।
ऐ फरहा बस थोड़ी सी ही फरहा चाहिए तुझसे,
बस मोहब्बत का एक टुकड़ा ही चाहिए तुझसे।
माना इस ज़माने की बेशक़ीमती दीबा हो तुम,
पर मेरा इल्म ए इश्क भी ना जाना गया तुझसे।
( फरहा - खुशी ) ( दीबा - इल्म जानने वाली )
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©Sabka Suraj - सबका सूरज
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