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परिवार by Mausmi Bishnu

मेरा अस्तित्व उससे है, एक अटूट डोर से बंधी हु,
ये रिश्ता यशोदा कृष्ण जितना खास है।
ये सारा जग उसे मा कहता है जो कभी रूठती नही,
निःस्वार्थ प्रेम बस उसी के पास है।।
गंगा जितनी पावन है वो, उसी में काशी मथुरा का वास है,
ये हम सब मानते है कि निःस्वार्थ प्रेम बस उसी के पास है।।
आंसू छिपाने की कला है उनमें
त्याग और बलिदान का अनूठा रूप है
ये सारा जग जिसे पिता कहता है,
असल मे वही फरिश्ते का स्वरूप है।।
मेरी हर ज़िद पूरी करना, मेरे शौक का बोझ उठाना,
ये प्यार जग में सबसे अनूप है।।
मोहल्ले में हर गुंडा डरता उससे,
गलत रास्तो से हमेशा मुझे बचाया है
उसकी वजह से कितना भी डाँट खाऊ गम नही होता
जो मंगा वो दिया उसने ..एक भाई है जिसका प्यार कम नही होता।।
क्रिकेट में हराया है उसे और उसकी बाइक भी दौड़ाई है,
इन सब बातों का मुझे बड़ा अभिमान है
बड़ा हुआ तो समझ आया कि भाई तो पिता के साये के समान है।।
वो छोटी हो या बड़ी ,बेमतलब लड़ाई बहस होना जरूरी है,
वो दोस्त भी है और हमराज़ भी ,उसको मनाना तो मजबूरी है
उसकी थाली में हाथ मरना और उसके कपड़े पहनना,
इन पलो के बिना ज़िन्दगी अधूरी है,
जिनकी बहन नही होती उनसे पूछो की उनके
और उनकी खुशियो के बीच कितनी दूरी है।।
उन्होंने बरसो का तजुर्बा चंद लम्हो में मढ़ा है
रामायण और गीता का ज्ञान मैंने कहानियों के रूप में पढ़ा है
घर की नींव को अच्छे संस्कारो से गड़ा है
दादा दादी के साथ वो दौर भी जिया है मैंने जहा आशीर्वाद हर पूंजी से बड़ा है।।
मेरी खुशियो में सब शरीक हो गए
सबका प्यार मेरे लिए बेशुमार था
जेब जब खाली हुई तब पता चला कौन असली यार था,
जब टूट कर रोया तो मुसीबतो में सब साथ छोड़ गए
पीछे मुड़ा तो देखा मा बाप भाई बहन के रूप में बस खड़ा मेरा परिवार था।।
Penned by,
Mausmi Bishnu
Nowrozabad, India


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बेजुबां इश्क़ by Ayushi Tyagi

लड़ते भी हो इतना और प्यार भी हद पार करते हो लफ़्ज़ों से नहीं तुम आंखों से सब बात कह देते हो रास्ते में मुझे हमेशा खुद से आगे रखते हो भीड़ में मेरा हाथ कसके पकड़ लेते हो मेरे ख्वाबों को पंख भी देते हो उजाले में छुपा अंधेरा भी दिखाते हो मेरे चेहरे की रौनक तुम्हारी हिम्मत है और मेरी नादानियाँ तुम्हारे लिए कमजोरी मेरी आँखें पढ़ने का हुनर कहाँ से सीखा है तुमने? मेरी आवाज़ से दर्द जानने का तरीका कैसे समझा तुमने? मेरे कदमों से मेरे सपने को किस तरह परखा तुमने? मेरे दिल की धड़कनों को कब सुना तुमने ? हाँ, यह सवालों के जवाब जानना जरूरी है मेरे लिए की सच है या कोई फ़साना तो नहीं मेरे लिए हो सके तो सपनों में नहीं हक़ीक़त में आना इस बेजुबां इश्क़ की किताब का नाम पूछना है तुमसे जो मेरे हर एक राज जानती है। Penned by Ayushi Tyagi Ghaziabad, UP, India