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Showing posts from June, 2019

परिवार by Mausmi Bishnu

मेरा अस्तित्व उससे है, एक अटूट डोर से बंधी हु, ये रिश्ता यशोदा कृष्ण जितना खास है। ये सारा जग उसे मा कहता है जो कभी रूठती नही, निःस्वार्थ प्रेम बस उसी के पास है।। गंगा जितनी पावन है वो, उसी में काशी मथुरा का वास है, ये हम सब मानते है कि निःस्वार्थ प्रेम बस उसी के पास है।। आंसू छिपाने की कला है उनमें त्याग और बलिदान का अनूठा रूप है ये सारा जग जिसे पिता कहता है, असल मे वही फरिश्ते का स्वरूप है।। मेरी हर ज़िद पूरी करना, मेरे शौक का बोझ उठाना, ये प्यार जग में सबसे अनूप है।। मोहल्ले में हर गुंडा डरता उससे, गलत रास्तो से हमेशा मुझे बचाया है उसकी वजह से कितना भी डाँट खाऊ गम नही होता जो मंगा वो दिया उसने ..एक भाई है जिसका प्यार कम नही होता।। क्रिकेट में हराया है उसे और उसकी बाइक भी दौड़ाई है, इन सब बातों का मुझे बड़ा अभिमान है बड़ा हुआ तो समझ आया कि भाई तो पिता के साये के समान है।। वो छोटी हो या बड़ी ,बेमतलब लड़ाई बहस होना जरूरी है, वो दोस्त भी है और हमराज़ भी ,उसको मनाना तो मजबूरी है उसकी थाली में हाथ मरना और उसके कपड़े पहनना, इन पलो के बिना ज़िन्दगी अधूरी है, जिनकी बहन नही होती उनसे पूछो की

ग़ज़ल by Sachin Kumar Ken

ख्वाबों को रख सिरहाने सो जाते हैं चलो नींद के इन्तजार में सो जाते हैं एक तस्वीर जगाती रहती है रात भर हारे थके हम आँख मूँदके सो जाते है कोई पूछने न लगे सबब गुमशुदगी का दरवाजे खिड़कियाँ बन्द कर सो जाते हैं महलों में भी नींद आती नही किसी को लोग आसमाँ को छत समझ सो जाते हैं मखमली कम्बलों का कारीगर है वो बच्चे फ़टी चादर ओढ़कर सो जाते है आयेगें ख्वाब में फ़रिश्ते रोटियाँ लेकर बच्चे यतीम इसी उम्मीद में सो जाते है लोरियों का दौर रहा नही अब शायद बच्चे कानो में इयरफोन लगाये सो जाते है लगाकर आग मुफ़लिसों की बस्ती में कैसे सुकून से वो अपने घरों में सो जाते है Penned by, Sachin Kumar Ken Modinagar Road, Hapur, India - Get your content published on our FB pages and Blog... it's FREE! Submit your content thru this form bit.ly/bopregistration Subscribe to our YouTube channel www.youtube.com/c/blossomofpoetry

मेरी ईद by Sabka Suraj

मैं तेरा रोज़ा हो जाऊंगा, तू मेरी इफ़्तार बन जाना। मैं तेरा चांद हो जाऊंगा, तू मेरी ईद बन जाना। ऐ फरहा बस थोड़ी सी ही फरहा चाहिए तुझसे, बस मोहब्बत का एक टुकड़ा ही चाहिए तुझसे। माना इस ज़माने की बेशक़ीमती दीबा हो तुम, पर मेरा इल्म ए इश्क भी ना जाना गया तुझसे। ( फरहा - खुशी ) ( दीबा - इल्म जानने वाली ) Penned by, ©Sabka Suraj - सबका सूरज Babuganj, Matrauli, Unchahar, Rae bareli

Eid by Ab Moqit

Ku ba ku me khushiyan hain chhai Pairahan pe khushbu aankhe surmai Bachhon ki shor o gul me de rahi sunai Dekho eid aayi eid aayi eid aayi Kaha dekhne ko milti ye khushnumai Gale milte sab de rahe hain dikhai Bachhe budhe aur bhai bhai Dekho eid aayi eid aayi eid aayi Ghar ghar ja kar rasme nibhai Sabhi ne mil kar khub hai khai Lachcha sawaiyan aur mithhi mithhai Dekho eid aayi eid aayi eid aayi Khak ki gamo ko di mohabbat ki raushnai Sabhi logo ne mil kar mahfil sajai Haar hui burai ki jeet gayi achchhai Dekho eid aayi eid aayi eid aayi Kya bataye kya hai khudai Rozedaaro ke liye saugaat layi Jhuum uthhe diwane jhuum uthhi shaidai Dekho eid aayi eid aayi eid aayi Penned by Ab Moqit Dhanbad, Jharkhand, India

जीना भूल गया by Sabka Suraj

ज़िंदगी इतनी ज्यादा बुरी तो न थी, जो मैं जीना भी भूल गया। माना गमों –ए-दहशत की उम्र चल रही थी, क्या हुआ जो मैं रोना भी भूल गया। माना वीरान रास्तों की डगर थी, क्या हुआ जो मैं चलना भी भूल गया । माना अकेलापन था दर्दनाक बड़ा, क्या हुआ जो मैं तन्हा रहना भी भूल गया । माना समस्याओं का सैलाब था यहाँ, क्या हुआ जो मैं जूझना भी भूल गया । माना था अंधेरा घनघोर हर तरफ यहाँ, क्या हुआ जो अपने अन्तर्मन की रोशनी भी भूल गया । माना दर्द –ए –सितम हर इंसान दे रहा था यहाँ, क्या हुआ जो अपने अंदर के इंसान को भी भूल गया । माना वक्त –ए-कमबख्त खराब था मेरा, क्या हुआ जो मैं सब्र ए वक्त भी भूल गया । ज़िंदगी इतनी ज्यादा बुरी तो न थी, जो मैं जीना भी भूल गया । Penned by Sabka Suraj (सबका सूरज) - Get your content published on our FB pages and Blog... it's FREE! Submit your content thru this form bit.ly/bopregistration Subscribe to our YouTube channel www.youtube.com/c/blossomofpoetry